दाऊ रामचंद्र देशमुख ल छत्तीसगढी लोकमंच के पितामह केहे जाथे।इंकर जनम 25 अक्टूबर 1916 म पिनकापार (राजनांदगांव) म होय रिहिसे।फेर एमन अपन करमभूमि दुरुग के बघेरा गांव ल बनाइन।ननपन ले दाऊ जी ल नाचा गम्मत म रुचि रिहिस।सन् 1950 में दाऊ जी ह “छत्तीसगढ़ देहाती कला विकास मंडल ” के स्थापना करिन।एकर सिरजन बर उन ल अथक मिहनत करे बर परिस।जेन समें म आय-जाय के बरोबर साधन नी रिहिसे वो समे दाऊ जी ह बइलागाडी म गांव-गांव म घूमिन अउ गुनी कलाकार मन ल सकेलिन।छत्तीसगढ़ में प्रचलित नाचा गम्मत के परस्तुति म दिनों-दिन आवत गिरावट ल देखके उन ल बड दुख होवय।तब ओमा सुधार करे खातिर दाऊ जी ह नाचा-गम्मत म साहित्य ल संघेरे के सोचिन।
अउ 7 नवंबर 1971 के वो अद्भुत रतिहा आइस।जेन दिन छत्तीसगढ़ी अस्मिता के चिन्हारी अउ कला मनीस्वी दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के सपना ह ग्राम बघेरा(दुर्ग) म अवतरित होइस।ये तारीख ह छत्तीसगढ़ के इतिहास म अजर-अमर होगे,काबर कि इही दिन छत्तीसगढी लोक संस्कृति के चिन्हारी चंदैनी-गोंदा के जनम होइस।दाऊ जी ल अपन माटी ले बड लगाव रिहिसे।फेर वोला वतकी संसो इंहा के गरीब बनिहार अउ किसान के तको रिहिस।आने मनखे मन के द्वारा इंहा के गरीबहा मन के शोसन ह भीतरे-भीतर ओला कलपाय।तब वोहा मंच ल अनियाय अउ शोसन के बिरोध के माध्यम बनाके देस-दुनिया के आगू आइस।
दाऊ जी ह अंगरेज मन के राज ल देखे रीहिसे अउ ओमन ल देस ले खेदे-बिदारे म सुराजी सिपाही बनके अपन योगदान देइन। देश आजाद होगे।फेर गाँधी जी के सपना के भारत दूरिहागे।दाऊ जी ह गरीबहा मन के हक ल मारत देखिन त बड दुखी होइन।छत्तीसगढ़ के इही दुख-पीरा ल देखाय बर अउ इंहा के आरूग लोक संस्कृति-संस्कार म हमावत दोष ल दूरिहा खातिर ‘चंदैनी-गोंदा’के सिरजन करिन।फेर अतिक बड सपना ल सिरजाय खातिर उन ल भारी मिहनत करे ल परिस।
लगभग 63 कलाकार मन के समिलहा उदीम ले चंदैनी-गोंदा के पहिली परदरसन बघेरा गांव म होइस त देखइय्या मन बक खागे।छत्तीसगढ़ महतारी के वैभव ल देखके जम्मो छत्तीसगढिया मन के छाती तनगे।दाऊ जी के मार्गदर्शन म खुमान लाल साव जी के संगीत के संग पं. रविशंकर शुक्ल,पवन दीवान,लक्ष्मण मस्तूरिहा जइसे कतको छत्तीसगढिया साहित्यकार के गीत ले सजे चंदैनी गोंदा के सन् 1981 तक कुल 99 परदरसन छत्तीसगढ़ के कोन्हा-कोन्हा म होइस ।श्रीमती कविता वासनिक,लक्ष्मण मस्तूरिहा ,भैया लाल हेडाऊ जइसे कतको कलाकार मन के नांव के सोर चंदैनी गोंदा ले जुडे के बाद होइस।एकर बाद दाऊ जी ह छत्तीसगढ़ के नारी के तियाग अउ समरपन के कहिनी “कारी” के सिरजन म लगगे।देवार जनजाति के दुख-पीरा ल समाज के आगू म लाने बर उन ‘देवार-डेरा’के मंचन तको करिन हे।
सन् 1982 से लेके आज तक “चंदैनी-गोंदा” के बिरवा ल पोगरी अपन खून-पसीना ले सींच के जिंयावत हे छत्तीसगढी लोक संगीत के इतिहास पुरुष खुमान बबा ह।दाऊ जी के संग लगाय चंदैनी गोंदा के बिरवा ह आज बिसाल वटवृक्ष के रूप ले डरे हे।लगभग 40 अनुशासित कलाकार मन के समिलहा सहयोग ले खुमान लाल साव जी के कलायात्रा आजो सरलग चलत हे।पुरखा के सपना पूरा होगे।छत्तीसगढ़ नवा राज बनगे।ए बीच म कतको बडोरा अइस फेर चंदैनी गोंदा आजो ममहात हे।छत्तीसगढ़ के रुप बदलगे फेर खुमान बबा के जोश अउ चंदैनी गोंदा के रुप थोरको नी बिगडिस।
दाऊजी के निर्देसन वाला चंदैनी गोंदा ल देखे के सौभाग्य नी मिलीस काबर की वो पंइत हमर जनम नी होय रीहिस।फेर खुमान बबा ल संउहत अपन आगू म हारमोनियम बजावत चंदैनी गोंदा म देखना कम सौभाग्य के बात नी होय।अभी तक 3-4 परस्तुति देख डरे हंव फेर मन नी अघाय हे।आजादी के लडई म अंगरेज मन के अतियाचार अउ सुराजी सिपाही मन के तियाग अउ संघर्ष ल चंदैनी गोंदा के कलाकार मन जब मंच म उतारथे त देंहे घुरघुरा जाथे।लहू डबके ल धरथे।अजादी मिले के बाद बटोरन लाल जइसे नेता मन देश के का हाल करे हे?गुने बर मजबूर कर देथे।छत्तीसगढ़ के वयोवृद्ध कलाकार शिवकुमार दीपक जी के अभिनय ल घेरी-बेरी नमन करे के जी करथे।अस्सी के उमर पार होवत होही फेर कला के प्रति अइसन समरपन कि लागबे नी करे कि ओमन थकत होही।
छत्तीसगढ़ शासन अउ जम्मो कलाकार मन ले हांथ जोंड के निवेदन करत हंव के खुमान बबा अउ दीपक जी जइसे विलक्षण कला साधक अभी हमर बीच हावय।ओमन ल सम्मान के लालच नीहे।फेर मोर मानना हे कि ओमन ला सम्मानित करके सम्मान खुद सम्मानित होही।खुमान बबा अउ शिवकुमार दीपक जी ह पद्म सम्मान पाय के अधिकारी हे।ये दिशा म उदीम होना चाही।
रीझे यादव
टेंगनाबासा(छुरा)493996
मो.8889135003
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